हालांकि समुद्र मंथन “अमृत” पाने के लिए हुआ तब, सबसे पहले विष निकला फिर अन्य वस्तुए जैसे ऐरावत हाथी, कामधेनु गाय, आदि आदि, जब अमृत निकला तब देवता तथा दैत्य दोनों अमृत पाने के लिए भागे | काश देवता और दैत्य थोड़ी देर और मंथन करते तो और भी उपयोगी वस्तुए निकलती | माता लक्ष्मी भी समुद्र मंथन से आयी, काश भक्ति भी आ जाती |
हिरण्यकश्यप ने ब्रम्हा जी से वरदान में लगभग अमर होने जैसा वरदान ही मांग लिया था, लेकिन भक्त प्रहलाद ने कोई भी वरदान नहीं पाया था, फिर भी दैत्य उसे मार न सके और प्रहलाद के लिए खुद भगवान विष्णु “नरसिंह” अवतार लिए और हिरण्यकश्यप का वध किया |
अमरता से कहीं ज्यादा जरुरी भक्ति है, यदि मुझे आपको दुनिया की सारी दौलत, सम्मान, और ताकत मिल जाए तो फिर हम उसको देखना चाहेंगे जिसने इस जगत को बनाया | और उसे देखने के लिए हमें भक्ति चाहिए |
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