भक्ति की ख़ुशी शाश्वत है, बाकी सब खुशियाँ मिथ्या है |

प्रभु की भक्ति में ही कोई सचमुच बिना किसी कारण नाच सकता है, गा सकता है, खुश हो सकता है | लोग सोचते है की पैसा से, बड़ी गाडी से, बड़े घर से, बड़े पद से, बड़े सम्मान से ख़ुशी मिलती है, हाँ मिलती है छड़ीक ख़ुशी | लेकिन इस ख़ुशी से लम्बे समय तक खुश नहीं रहा जा सकता है | 

क्या कोई बड़ा घर पाकर खुश हो सकता है, हाँ | लेकिन दिखावे में या थोड़ी देर के लिए, सच तो यह है की लोग हमेशा अपने स्तर से थोड़ा बड़ा मकान, गाडी या सम्मान चाहते है और ऐसा करते भी है, इससे थोड़ी देर तो अच्छा लगता है, लेकिन फिर किसी कारण चिंता आ जाती है | आप थोड़ी देर नाच सकते है लेकिन फिर चिंतित हो जायेंगे | 

प्रभु की भक्ति में आपसे चिंता दूर जाती है, आप वर्तमान में आ जाते है, और ख़ुशी में लोगो के साथ इकट्ठे होकर गा सकते है, भजन कीर्तन कर सकते है, नाच सकते है जो बहुत स्वाभाविक होगा और प्रसन्नता बढ़ती जायेगी | 


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