सत से विष्णु भगवान, रज से ब्रम्हा जी उत्पन्न हुए है (भागवत दसवां सकन्ध - ब्रम्हा जी द्वारा स्तुति) , और गीता (सातवा अध्याय १२, १३, १४) में भगवान ने कहा है - मेरी शक्ति से सारे गुण (सत, रज, तम) प्रकट होते है, मैं प्रकर्ति के गुणों के अधीन नहीं अपितु ये मेरे अधीन है |
हर मनुष्य के अंदर सत रज तम गुण होते है, जब जिस गुण की अधिकता होती है, मनुष्य वैसा ही व्यवहार करता है, इसी प्रकार प्रकृति भी इन तीनो गुणों से बनी है, जब जिस गुण की अधिकता होती है, मनुष्य पर भी इसका असर होता है |
हर मनुष्य के अंदर जीवात्मा और परमात्मा होते है, और पूरा चराचर जगत सर्वात्मा के अंदर व्याप्त है, इसका मतलब आपके अंदर आप और ब्रम्हा विष्णु और महेश है | और ये सभी सर्वात्मा के अंदर है |
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