एक लेख भक्तिधन, चीरहरण और महारास पर

संतो को परमगति देने के लिए भगवान ने चीरहण लीला, ये वो ही गोपियाँ जो पिछले कई जन्मो से भगवान की भक्ति कर रही थी 


  • वैसे तो भगवत प्राप्ति में “काम क्रोध मद मोह लोभ” और द्वन्द को त्यागकर भगवान की भक्ति करनी होती है, भगवत प्राप्ति की ये ही मुख्य बाधाए है, लेकिन चीर हरण में भगवान ने अपने भक्तो की बाधा को स्वयं दूर किया, कैसे? 

  • आत्मा का कोई लिंग नहीं होता है, जब तक मनुष्य शरीर भाव में रहता है तब तक माया उसको घेरे रहती है, और जब मनुष्य शरीर को वस्त्र समझता है और आत्मा और परमात्मा को समझ जाता है तो उसे स्वतः ही सर्वात्मा की प्राप्ति हो जाती है, यहाँ पर भगवान ने गोपियों की मदद उनके वस्त्र लेकर की ताकि उनके मन से शरीर भाव निकलकर आत्म भाव आ सके, अगर वो स्त्री पुरुष के भेद से ही नहीं निकल पाएंगी तो सर्वात्मा तक कैसे पहुचेंगी | 

  • महारास पर भगवान कुछ समय के लिए अंतर्ध्यान हो गए तब सभी गोपियाँ उनके विरह से व्याकुल हो उठी, उसी तरह जिस तरह एक सामान्य मनुष्य धन के खो जाने पर होता है, उनकी यदि दशा ने भगवान को वापस लाकर उनका कल्याण करने पर विवश कर दिया | 



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