शांति तो स्वतः हमारे पास ही है बस हमेशा समझना है की शांति तभी संभव है जब आप अपनी चाहतो के बोझ को अपने सर से उतार दें |
ईश्वर के सम्मुख जाकर शांति की इच्छा रखें और फिर नयी चाहतो को पूरा करने का आग्रह करना और जो पहले से है उसकी हिफाजत चाहना “नासमझी” है | क्योकि आप अपने सर पर और बोझ रखने का सोच रहे है और शांति की बात भी कर रहे है, दोनों कार्य एक साथ कैसे घटित होगा |
पहले समझ लें की चाहते और जरूरते है क्या?
जरुरत - यदि आप अपना कर्त्तव्य करते है जैसे अपने शरीर का पोषण, परिवार का पालन पोषण, समाज के प्रति अपने कर्तव्य का पालन, ये सभी जरूरते है |
चाहत - चाहते वो है जो आप किसी विशेष सम्मान की इच्छा पूरी करने के लिए कुछ चाहते है |
उदाहरण
आपको भूख लगी है भोजन खाना आपकी जरुरत है, लेकिन भोजन किसी बढ़िया restaurant में खाना आपकी चाहता है | आप जितना चाहतो का बोझ अपने सर पर रखेंगे आप उतनी कम शांति पाएंगे |
Method
आप बैठ जाइये, आँखे बंद कर लीजिये और मन से सभी प्रकार की चाहतो को निकाल दीजिये | आप ऐसा खुद से कहें - मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं शांत हूँ, शांत हूँ, शांत हूँ |
पांच मिनट करके देखिये और comment कीजिये |
इसे भी समझ लीजिये आप अचानक शांति कैसे महसूस करने लगेंगे? जब आप चाहतो को छोड़ देते है तो अचानक आपका मन भविष्य और भूतकाल से निकल जाता है और तुरंत वर्तमान में आ जाते है, इस कारण भी आपको शांति स्वतः प्राप्त हो जाती है |
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